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दिन डूबेगा और अँधेरा भी होगा / अशोक रावत
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दिन डूबेगा और अँधेरा भी होगा,
लेकिन उसके बाद सवेरा भी होगा.
क्या समझूँ, ये सारी रौनक तेरी है,
या इस में कुछ हिस्सा मेरा भी होगा.
सब के सब तो साहूकार नहीं होंगे,
कोई कोई चोर लुटेरा भी होगा.
पेड़ जहाँ होंगे पंछी भी आएंगे,
उनपे सूरज चाँद का डेरा भी होगा.
कब तक मिल कर तुम दूकान चलाओगे,
आख़िर एक दिन मेरा तेरा भी होगा.
जो कि मछलियों की सोचे, विश्वास नहीं,
ऐसा कोई एक मछेरा भी होगा.