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दिये को दबोच नहीं सका अँधेरा / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
रात भर डाले रहा घेरा
दिए को
दबोच नहीं सका अँधेरा
जलते-जलते हो गया सबेरा
रचनाकाल: १२-१०-१९७०