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दिल्ली चालीसा / प्रदीप शर्मा

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जय दिल्ली नगरिया, गागर में सागर
गुण तेरा गाएं हम तेरे नागर
आये पछताये पर छोड़ न पायें
है यह नशीली जमुना की गागर
फिर भी न छोड़ी जाये दिल्ली नगरिया
दिल लिये है इसकी बांकी नज़रिया
बांकी नज़रिया जी तिरछी डगरिया
दिल लिये है भैया दिल्ली नगरिया ।

भरी भरी सड़कें हैं भीड़ भड़क्का
गली हो या नुक्कड़ हो है धक्कम धक्का
देखे है जो भी वो है हक्का बक्का
फिर भी न छोड़ी जाये दिल्ली नगरिया

कोई कोलोनी हो कोई मोहल्ला
होता है हरदम यहां हो हो हल्ला
मारे है सीटी कोई पकड़े है पल्ला।
फिर भी न छोड़ी जाये दिल्ली नगरिया

कोई भी मौसम हो जीना हराम है
बिजली नहीं है कभी पानी तमाम है
एम.एम.एस के चलते मोबाइल भी ज़ाम है।
फिर भी न छोड़ी जाये दिल्ली नगरिया .

सर्दी बुरी यहां की गर्मी बुरी है
दफ्तर में पाबंदी में नर्मी बुरी है
वीवीआईपी लोगों की बेशर्मी बुरी है।
फिर भी न छोड़ी जाये दिल्ली नगरिया .

दिल की नई है यह बीमारी फैली
बाज़ार बंद कभी दिल्ली चलो रैली
अच्छी भली दिल्ली थी हो गई मैली।
फिर भी न छोड़ी जाये दिल्ली नगरिया .

कारों की कतारों को सड़को का टोटा
सड़कों पे शादियां या चंचल जलोटा
फुटपाथ भी घेरे है लाला कोई मोटा।
फिर भी न छोड़ी जाये दिल्ली नगरिया .

बीच सड़क विद फै.मिली बैठी गौ मैया
साईड से करतब दिखाता तिपहिया
कभी टक्कर मारे लौरी कभी दूधवाला भैया
फिर भी न छोड़ी जाये दिल्ली नगरिया .

ब्लू लाईन जीवन की है लाल रेखा
मानो सड़कों पे चलता हुआ काल देखा
हम भी आये हैं बच के बस बाल बाल देखा
फिर भी न छोड़ी जाये दिल्ली नगरिया .

मेट्रो–मेगामालों से सूरत बदलती है दिल्ली
पर फ्लाई–ओवरों पे धीमी गति चलती है दिल्ली
कभी बम, कभी भूकम्प से दहलती है दिल्ली
फिर भी न छोड़ी जाये दिल्ली नगरिया .

आये खिलजी मुगल लोधी तुग़लक गुलाम
जो भी आया न लौटा कभी अपने धाम
सही आफ़त मुसीबत और मुश्किलें तमाम
फिर भी न छोड़ी जाये दिल्ली नगरिया .

कौन जाये दिल्ली की गलियों को छोड़ के
कलियों को छोड़ रंग रलियों को छोड़ के
सड़कों पे उड़ती तितलियों को छोड़ के
ये हीर किसी की किसी की गुजरिया

दिल लिये है इसकी बांकी नज़रिया
बांकी नज़रिया जी तिरछी डगरिया
तो भैया जमुना किनारे ही गुज़रे उमरिया
दिल लिये है भैया दिल्ली नगरिया ।
दिल्ली ये है भैया दिल्ली नगरिया।