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दिल्ली / अल्हड़ बीकानेरी
Kavita Kosh से
दिल्ली तो करोड़ों दिल वालों की नगरिया है
कोई ले दिमाग़ से क्यों काम मेरे राम जी
भूले से, यहाँ जो चला आए एक बार कोई
जाने का कभी न लेगा नाम मेरे राम जी
पाँव रखने को मेट्रो रेल में जगह कहाँ
जाम हुईं सड़कें तमाम मेरे राम जी
जाम से भला क्यों घबराएँ कार वाले, यहाँ
कारों में छलकते हैं जाम मेरे राम जी