भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल उनसे प्यार के नाते तो कोई दूर न था / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


दिल उनसे प्यार के नाते तो कोई दूर न था
अगर वे दिल से बुलाते तो कोई दूर न था
 
ये माना हमने, झुका सर न उनके चरणों तक
जो वे भी आँख उठाते तो कोई दूर न था

बहुत ही गहरे में मिलता है प्यार का मोती
हम और डूबते जाते तो कोई दूर न था

नहीं था खेल ये माना कि चाँद को छूना
कहीं वे साथ निभाते तो कोई दूर न था

'गुलाब' सब यहाँ लगते थे दूर-दूर मगर
चले जो मौज में गाते तो कोई दूर न था