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दिल और तरह आज तो घबराया हुआ / आसिफ़ 'रज़ा'
Kavita Kosh से
दिल और तरह आज तो घबराया हुआ है
ऐ बे-ख़बरी चौंक कोई आया हुआ है
सुलगे हुए बोसे ये हवा के हैं फ़ना के
दिल ख़ौफ़ से हर फूल का थर्राया हुआ है
ता-के न निगाहों को अँधेरे नज़र आएँ
आईना उजालों ने ये चमकाया हुआ है
ऐ रात न फ़ाख़िर हो सितारों की चमक पर
वो चाँद भी तेरा है जो गहनाया हुआ है