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दिल की धड़कन रुकी रुकी सी है / रंजना वर्मा

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दिल की धड़कन रुकी रुकी-सी है
आँख में इक नदी थमी-सी है

खुशबुएँ उड़ रही हवाओं में
ये फ़िज़ा आज महकती-सी है

रात काली लगे सिसकती सी
धुन्ध में जैसे रौशनी-सी है

दूर बेटा गया निगाहों से
माँ की आंखों में अब नमी-सी है

बात होठों पर रुक गयी आकर
ये नज़र भी झुकी झुकी-सी है

एक मुफ़लिस ने बेच दी बेटी
अब निगाहों में बेबसी-सी है

जिंदगानी अजाब गुरबत की
जिंदगी जैसे खुदकुशी-सी है