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दिल की प्यारी हे रै रै क्यूं ना घड़ा ठुवाया / मेहर सिंह

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वार्ता- जब वह मदनावत को देखता है तो उसे घड़े को उठवाने के लिए कहता है तो रानी यह कहकर इंकार कर देती है कि तू भंगी नौकर है और इस घड़े को हाथ नहीं लगाऊंगी। इस पर वह कहता है

दिल की प्यारी हे रै रै क्यूं ना घड़ा ठुवाया।टेक

झूठी जग की मेर तेरे कोए नहीं बेटा बाप
जैसी करणी वैसी भरणी भोगता है अपने आप
माणस के साथी जग म्हं किए हुए पुण्य पाप
मोक्ष धाम टोहणा चाहिए छोड़ कै दुनियां के धन्धे
आच्छी तरीयां देख लिया झूठे हैं तृष्णा के फंदें
ईश्वर बिना तेरा साथी ओर कोए नहीं बन्दे
जो थी पतिव्रता नारी हे रै रै रै ना रहम पति पै आया।

कितै जाइये कुछ बी करिये कर दी है सब छूट तेरी
जो पंचा म्हं बचन भरे थे सारी लिकड़ी झूठ तेरी
पाणी के घड़े पै बैरण कती देख ली ऊठ तेरी
तेरे दिल का भेद गोरी आज तै ए स्पष्ट हुअया
म्हारा तेरा प्रेम गोरी आज तै ए नष्ट हुअया
हाथ जोड़ माफी मांगू जो आणें मैं कष्ट हुअया
कहूंगा हकीकत सारी हे रै रै रै ना दिल म्हं शरमाया।

छोड़ दिये दुनियां के धन्धे तज कै नै सब मेरा मेरी
उजड़ ज्यागा चमन एक दिन हो ज्यागी-काया की ढेरी
दर्शन दे दास को मतना लावै पलकी देरी
सत पर ही कुर्बान होण धर्म की लगी है बाजी
पलभर म्हं निहाल करदे जिसपै होज्या ईश्वर राजी
चौड़े के म्हां नाट गई जो थी आधे अंग की सांझी
प्रभु तेरी लीला न्यारी हे रै रै रै कहीं पै धूप कहीं पै छाया।

तुम ही दोनों के स्वामी अर्ज को मंजूर करो
काम क्रोध मद लोभ मोह को चकना चूर करो
जो हृदय म्हं लगी वेदना उस पीड़ा को दूर करो
मेरी विनती सुण कै प्रभु एक रोज आणा होगा
श्रद्धा रूपी बाल भोग आण कै नै खाणा होगा
मुझ दुखिया का बेड़ा प्रभु पार तो लगाणा होगा
कहै मेहरसिंह न्यायकारी हे रै रै रै भेद ना किसी नैं पाया।