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दिल की हालत संभाली गई / अनिरुद्ध सिन्हा
Kavita Kosh से
दिल की हालत संभाली गई
जान रिश्तों में डाली गई
क़द अँधेरों का इतना बढ़ा
रौशनी भी छुपा ली गई
दिन भी बेरंग सा हो गया
रात फूलों से खाली गई
हद से ज़्यादा बढ़ीं नफ़रतें
जब सियासत उछाली गई
ख़्वाब आते कहाँ से उन्हें
नींद जिनकी चुरा ली गई