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दिल में उतर जाता हूँ / राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

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बेवफ़ा तुझको मैं बेशक नज़र आता हूँ।
दुश्मनों के भी मगर दिल में उतर जाता हूँ॥

दूर कितना भी रहँू फ़ासले कितने हों मगर।
दिल के नज़दीक हमेशा मैं तुझे पाता हूँ॥

आँख से बहने नहीं देता हँू आँसू बनकर।
ग़म की दौलत को मैं सीने में छिपा आता हूँ॥

याद जब आती है उस शख़्स की तन्हाई में।
दिल को अपने मैं उदासी से घिरा पाता हूँ॥

ग़ैरों के बल पै सूरज न बनूँगा "राना" ।
दीप हूँ मैं तो अन्धेरे में टिमटिमाता हूँ॥