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दिल में कीना लब पे गाली हाथ में तलवार है / कांतिमोहन 'सोज़'

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दिल में कीना लब पे गाली हाथ में तलवार है ।
इसपे ये दावा कि वो गुरबा का जानिबदार है ।।

एक ज़माने तक दली है देश की छाती पे मूंग
कल हुआ इल्हाम उसको वो तो खिदमतगार है ।

आजिज़ आकर रहनुमा चुनने चला है नौअवाम
या ख़ुदा जम्हूरियत का वो भी पैरोकार है ।

हर सयाने आदमी को काम करना चाहिए
कुछ नहीं तो घास खोदे शायरी बेकार है ।

शायरो-दानिशवरो इस पर भी ग़ौरो-खौस हो
क्या सबब कुचले हुओं पर ही ख़ुदा की मार है ।

उनके पैमाने रहे तो चोर ही ठहरेंगे हम
हम करें तो बेइमानी उनका कारोबार है ।

सोज़ को कल रास्ते में आठवाँ वण्डर मिला
वो दवा छूता नहीं इस पर भी वो बीमार है ।।