भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल में जब प्यार का नशा छाया... / श्रद्धा जैन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिल में जब प्यार का नशा छाया
पंछी पिंजरे में खुद चला आया

सह गया जो ख़िजां के सारे सितम
गुल उसी पेड़ पर नया आया

सबको कह देगा, आँख का काजल
मेरे दिल ने कहाँ सकूँ पाया

क़ैद-ए-सरहद से है वफ़ा आज़ाद
राज़ ये बादलों ने समझाया

आके पहलू में बैठ जा मेरे
“श्रद्धा” अब तो है बस तेरा साया