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दिल में मेरे फिर ख़याल आता है आज / मह लक़ा 'चंदा'

दिल में मेरे फिर ख़याल आता है आज
कोई दिल-बर बे-मिसाल आता है आज

क्यूँ पड़ा बे-होश उठ हातिफ़ से अब
है निदा साहब-ए-जमाल आता है आज

संग-ए-रह हूँ एक ठोकर के लिए
तिस-वे वो दामन सँभाल आता है आज

मुश्तरी ओ ज़ोहरा बाहम साद हैं
इस लिए अब्रू हिलाल आता है आज

तुम सिवा ‘चंदा’ के दिल में या अली
किस की अज़मत का जलाल आता है आज