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दिल से मिलाये बिन भी दिल / देवी नांगरानी

दिल से मिलाये बिन भी दिल रहता कभी कभी॥


दुश्मन भी बनके दोस्त है डसता कभी कभी॥


इक जँग सी छिड़ी हुई इस उस के ख्याल में


कुछ सोच के गुमसुम ये मन रहता कभी कभी॥


ये ख्वाब ही तो ख्वाब है, हाथों में रेत ज्याँ


बह कर ये अश्क आँख से बहता कभी कभी॥


रूख क्यों बदल रही है यूँ, मुझे देख जिन्दगी


इस बेरुखी को देख दिल जलता कभी कभी॥


बँजर जमीन पर उगे काँटों भरी क्यारी


उस बीच में गुलाब है पलता कभी कभी॥


देता है जख्म खार तो देता महक गुलाब


फिर भी उसे है तोड़ना पड़ता कभी कभी॥