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दीठ ना मिलाओ / कीर्ति चौधरी
Kavita Kosh से
सूर्य है, दीठ न मिलाओ
नहीं
आँख भर आएगी ।
पुष्प यह, डाल मत बिलगाओ--
गंध झर जाएगी ।
उस की सुवास से प्राण अभिराम करो ।
चन्र वह, हाथ मत फैलाओ--
आस मर जाएगी ।
छिटकी जुन्हाई में छाया ललाम करो ।