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दीवारों के बीच / रमेश तैलंग

दीवारों के बीच कहीं पर एक झरोखा रखना.
कभी-कभी इंसानों की तरह भी सोचा करना.

बुरे बक्त की यादें आ कर सिर्फ रुलायेंगी ही
बहुत दिनों तक सीने पर न बोझ ग़मों का रखना.

सीधे सच्चे लोग बहुत ही ज़ज्बाती होते हैं,
उनसे जब भी करना कोई सच्चा सौदा करना.

तेरी मिटटी में मेरी मिटटी की खुशबू शामिल है,
मुमकिन कैसे हो पायेगा उसे अलहदा रखना.