भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दीवाली केरोॅ दोहा / अभिनंदन
Kavita Kosh से
दीवाली हेनोॅ हुएॅ, बुझेॅ नै कहियो जोत
स्नेह बढ़ेॅ, स्नेहिल बढ़ेॅ, बढ़ेॅ प्रेम के सोत ।
कहीं-कहीं इंजोर छै, आरो कहीं अन्हार
हेनोॅ दीवाली हुएॅ, चाँद बनेॅ संसार ।
ड्योढ़ी सें कुटिया तलक, झलकेॅ एक इंजोर
समझोॅ दीवाली होलै, रातिये होलै भोर ।