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दुःख की कैद पड़ी गौरी नै साल बाहरवां जा सैं / मेहर सिंह

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वार्ता- इसके बाद राजकुमार पवन मंत्री को और क्या कहने लगा-

परिन्दे इतना प्रेम करैं उस अंजना के कै राह सैं।
दुःख की कैद पड़ी गौरी नै साल बाहरवां जा सैं।टेक

ईब के सुणांऊं जिकर मंत्री
पणमेशर का शुक्र मंत्री
बीर मर्द का फिकर मंत्री, समझणीयां नै खा सै।

काम बिगड़ लिया जोड़ तोड़ का
क्यूंकर धोऊं दाग खोड़ का
भाई अंजना कै मेरी ओड़ का, छाती कै म्हां घा सै।

लिख्या कर्म का नहीं टलैगा
पाप धर्म सब गैल चलैगा
मुझ पापी नै नर्क मिलैगा, स्वर्ग बीच मैं वा सै।

ईब मौका सै बतलावण का
इसा बख्त फेर ना थ्यावण का
साज बाज पै गावण का, भाई मेहर सिंह नै चा सै।