कल रात
नींद में मैंने
पूरा घर
अपने सर उठा लिया
भाई को गलियाया
बहन को पीटा
पिताजी एक कोने में दुबके खड़े थे!
माँ फदकने लगीं कुछ
आक्रोश में मैंने डंडा उठा लिया।
नींद खुल गई अचानक, शुक्र था!
मैं थर-थर काँप रहा था!!
कल रात
नींद में मैंने
पूरा घर
अपने सर उठा लिया
भाई को गलियाया
बहन को पीटा
पिताजी एक कोने में दुबके खड़े थे!
माँ फदकने लगीं कुछ
आक्रोश में मैंने डंडा उठा लिया।
नींद खुल गई अचानक, शुक्र था!
मैं थर-थर काँप रहा था!!