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दुख दर्द की सौग़ात है दुनिया तेरी क्या है / साग़र सिद्दीकी

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दुख दर्द की सौग़ात है दुनिया तेरी क्या है
अश्कों से भरी रात है दुनिया तेरी क्या है

कुछ लोग यहाँ नूर-ए-सहर ढूँढ रहे हैं
तारीक सी इक रात है दुनिया तेरी क्या है

पाबन्द-ए-मशियत है तनफ़्फ़ुस भी नज़र भी
इक जज़िया-ए-लम्हात है दुनिया तेरी क्या है

तक़दीर के चेहरे की शिकन देख रहा हूँ
आईना-ए-हालात है दुनिया तेरी क्या है

मजरूह-ए-तक़द्दुस है तक़द्दुस की हक़ीक़त
रूदाद-ए-ख़राबात है दुनिया तेरी क्या है

"साग़र" में छलकते हैं समवात के इसरार
साक़ी की करामात है दुनिया तेरी क्या है