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दुख ही सुख का सपना / राजकुमार कुंभज
Kavita Kosh से
जो आदमी
अपने समूचे जीवन में
कभी भी, किसी भी कारण से
हुआ नहीं दुखी
वह, सुखी कैसे हो सकता है ?
सचमुच सच्चे सुख का तो मज़ा ही तब है
जबकि चखा हो स्वाद दुख का
दुख नहीं तो सुख नहीं
दुख ही सुख का सपना
दुख ही सुख-निशान पानी
दुख ही में छुपा है कोमलकांत सुख
जो आदमी
अपने समूचे जीवन में
कभी भी, किसी भी कारण से
हुआ नहीं दुखी
जिसने देखा नहीं दुख कभी
वह कैसे परखेगा पाएगा सुख अभी ?
सुख पाना है तो दुख माँगो
मोनालिसा की मुस्कुराहट पर मत जाओ
शोध करो कँटीले शोध
लेकर चुनौतियाँ अपार
एक छोटी-सी कोशिश भी
लौटा सकती है वह अकड़, वह जकड़
जो हो जाए
राजाओं-महाराजाओं की इतराहट विरुद्ध
और बनकर बड़ी चुनौती भी ।