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दुनिया के हर रंग को देखा हम ने / रमेश तन्हा

 
दुनिया के हर रंग को देखा हम ने
इंसान की तीनत को भी परखा हम ने
औरों के लिए बन के जिये मशअले-राह
बे-राह भटकना नहीं सीखा हम ने।