भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दुबो सेना के मिलान / लोकगीता / लक्ष्मण सिंह चौहान

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

परे दादा भीषम रामा सेना मरदरबा हो।
के सकतैय हुनकी से जीते हो सांवलिया॥
वोकरो सेना के रामा भीम सरदरबा हो।
हंसि-खेलि जीतबैय लरैया हो सांवलिया॥