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दुर की केलौं गे जंजाल ननदि के आनि बैसेलौं / मैथिली लोकगीत

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दुर की केलौं गे जंजाल ननदि के आनि बैसेलौं
विपत्ति बड़ भारी ननदो छथि सवारी
ओ सूती साड़ी नहि उलीयो के नहि पुछती
इच्छा छनि गजीसिल्क लितौं खरिदाइ
ओ बाली नहि पहिरती ओ झुमका के नहि पुछती
इच्छा छनि लॉकेट लितौं गढ़ाइ
ओ अपना घर नहि जेती ओ देवर के नहि पुछती
ओ सैंया घर नहि जेती ओ देवर के नहि पुछती
इच्छा छनि अपन भैया लितौं अपनाइ
दूर की कयलौं गे जंजाल ननदि के आनि बैसलौं