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दुल्हिन / राजकुमार
Kavita Kosh से
बड़ी सूनोॅ-सूनोॅ लागै छै, दुल्हिन बिना
बड़ी दुल्हिन बिना, हमरोॅ घोॅर-ऐंगना
बड़ी सूनोॅ-सूनोॅ....
गेली नुनुआ के संग, लेनें सबटा उमंग
उचटी गेलोॅ सब रंग, मोॅन लागै पतंग
शेष जिनगी रोॅ जोगी केॅ, रहबोॅ केना
बड़ी सूनोॅ-सूनोॅ....
लागै सगरे उझंख, मारै रही-रही डंक
कुंद चिरईं रोॅ पंख, लोटै बगिया में भंख
चहक अब नैं छै, बढ़लॉ दरद कै गुना
बड़ी सूनोॅ-सूनोॅ....
लागै उचरिंग रं मोॅन, छेलै कल तक मगोॅन
हेरी-हेरी केॅ गगोॅन, ‘राज’ भरलोॅ नयोॅन
आय दुल्हिन बिन, मुरझैली तुलसी-हिना
बड़ी सूनोॅ-सूनोॅ....