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दुविधा / सांवर दइया
Kavita Kosh से
जिका बोलै
लोग बां नै गैला कैवै
अर जिका चुप रैवै
बां नै गूंगा
अबै
बोलां तो गत नीं
चुप रैवां तो गत नीं
बताओ तो सरी
कांई करां म्हैं ?