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दुश्मन-ए-जाँ को हम अपनी जाँ बना बैठे / संतोषानन्द
Kavita Kosh से
दुश्मने-ए-जाँ को हम अपनी जाँ बना बैठे,
ओ चुपके-चुपके
दिल बना बैठे, तुम्हें अपना ख़ुदा बना बैठे,
ओ चुपके-चुपके
प्यार पर किसका ज़ोर चलता है,
हर क़दम पर ये दिल मचलता है
दिल की राहों में हम आशियाँ बना बैठे, ओ चुपके-चुपके
अपनी आवाज़ है पहाड़ों में
एक गर्मी है अब तो जाड़ों में
आँखों-आँखों में हम दास्ताँ सुना बैठे, ओ चुपके-चुपके
फ़िल्म : नागमणि(1991)