भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दूध और पानी अलग छाण कै सही फैसला कर दूंगा / मेहर सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तीन लाख के बदले में दस लाख तलक भी भर दूंगा।
दूध और पानी अलग छाण कै सही फैसला कर दूंगा।टेक

पूरनमल का रूप देख कै रानी उमंग भरी होगी,
पूरनमल का दोष नहीं रानी ए नीत खरी होगी,
तूं बूढ़ा वा जवान लुगाई मोह में ठीक घिरी होगी,
पूरनमल निर्दोष भगत सै उसने खोटी नीत धरी होगी,
जै पूरनमल का दोष मिला तै शीश काट कै धर दूंगा।1।

तनै कोन्या बेरा भूप इसी हो सै जात लुगाईयां की,
कुरूक्षेत्र और लंका नै या खोगी मुलाकात लुगाईयां की,
हस्तिनापुर में ताले भिड़गे मरगे साथ लुगाईयां की,
इस मर्द साले की कोए ना मानै या साची बात लुगाईयां की,
इनके कारण मिले गर्द में इसे बता बहुत से घर दूंगा।2।

कभी सती और कभी लक्ष्मी कभी पतिव्रता रंग छाया है,
कभी भूत प्रेत, कभी डाण डंकणी इन की अद्भुत माया है,
माणस नै दे मार ज्यान तै ऐसा खेल रचाया है,
ब्रह्मा विश्णु शिवजी नै भी इन तै धोखा खाया है,
कदे नै कदे तेरी भी न्यूंए लागी कमर दिखा दूंगा।3।

लखमीचन्द केसा गाणा कोणा और सब दुनिया नकल करै,
इन बातां नै कड़ै ठिकाणा चाहे कोए कितनी अक्ल करै
होज्यागा बदनाम भूप जै सही बात मैं दखल करै,
देश देश में चिट्ठी गेरूं पिता पूत नै कतल करै,
कै तै बाज बदी तै आजा ना तै सारै ए करा खबर दूंगा।4।