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दूरियाँ / मनीष मूंदड़ा
Kavita Kosh से
आज मैं दूर हूँ तुमसे
मीलों दूर
पर दिल को इस फासले का अहसास नहीं
मीलों लम्बी दूरी का फकऱ् दिल कहाँ महसूस कर पाता है
उसे हर आहट में तुम्हारी परछाईं की आस हैं
हवा के हर झोके में तुम्हारी ख़ुशबू की तलाश हैं
दिल को यक़ीन है तुम्हारे आने का
एक विश्वास है
दिल के बहाने मैं भी तुम्हारी खोज में हूँ
मैं जानता हूँ
मीलों दूर, इस वक़्त तुम गहरी नींद में हो
पर फिर भी
दिल की इस नादानी में शामिल हो
मुझे भी अब तुम्हारी तलाश हैं।