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दूर देस रा पांवणां / कुंदन माली
Kavita Kosh से
हरखपणो
अज्ञातवासो
अबखायां रो
बारामासी
जद सू
होया
सुख रा दिन
दूर देस रा
पांवणां
रैया
किस्या अब
हिलणा-मिलणा
किस्या
आवणा-जावणा ?