भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दूसरे शहर में / केदारनाथ सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यही हुआ था पिछ्ली बार
यही होगा अगली बार भी
हम फिर मिलेंगे
किसी दूसरे शहर में
और ताकते रह जाएंगे
एक-दूसरे का मुँह