दूसरों को हमारी सज़ाएँ न दे 
चांदनी रात को बददुआएँ न दे 
फूल से आशिक़ी का हुनर सीख ले
तितलियाँ ख़ुद रुकेंगी सदाएँ न दे 
सब गुनाहों का इकरार करने लगे 
इस क़दर ख़ूबसूरत सज़ाएँ न दे 
मैं दरख़्तों की सफ़ का भिखारी नहीं 
बेवफ़ा मौसमों की कबाएँ न दे 
मोतियों को छिपा सीपियों की तरह 
बेवफ़ाओं को अपनी वफ़ाएँ न दे 
मैं बिखर जाऊँगा आंसुओं की तरह 
इस क़दर प्यार से बददुआएँ न दे