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दें हँसी नववर्ष के उपहार में / पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'

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दें हँसी नववर्ष के उपहार में।
तब खुशी साम्राज्य हो संसार में॥

रोटियाँ नियमित क्षुधातुर को मिलें।
अश्रुपूरित नैन में कलियाँ खिलें।
अब मरे कोई न मानव बिन दवा।
और निर्मल जल मिले ताजी हवा।
स्फूर्ति नव पैदा करें लाचार में।
दें हँसी नववर्ष के उपहार में॥

बेटियाँ अपनी घुटन से मुक्त हों।
आचरण शुचि शौर्य साहस युक्त हों।
इस दहेजी दैत्य का संहार हो।
और फिर सौहार्दमय परिवार हो
मत कमी करना किसी अधिकार में।
दें हँसी नववर्ष के उपहार में॥

रेशमी ओढ़े क़फ़न बुधिया यहाँ।
दान गो का कर सके होरी जहाँ।
निर्मला कि ज़िन्दगी सुंदर बने।
चादरें सत्कार की चहुँदिश तने।
चाहिए बदलाव जो किरदार में।
दें हँसी नववर्ष के उपहार में॥