Last modified on 10 जुलाई 2019, at 11:53

देखने में तो लुभाती है / विपिन सुनेजा 'शायक़'

देखने में तो लुभाती है बनावट कितनी
किसको मालूम कि अन्दर है मिलावट कितनी

भुरभुरा खोखला है जिस को भी छू कर देखो
पहले हर चीज़ में होती थी कसावट कितनी

बढ़ती जाती है मकानों की ऊँचाई हर रोज़
यह न पूछो है मकीनों में गिरावट कितनी

काम तो कोई भी हालाँकि नहीं करने को
रात -दिन जिस्म में रहती है थकावट कितनी

मेरी हालत पे बहुत आप हँसा करते थे
देखिए है मेरी अर्थी में सजावट कितनी