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देखिए हमसे हुआ है यह कुसूर / सांवर दइया

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देखिए हमसे हुआ है यह कुसूर।
हर बात में कहा न गया, जी हुजूर!

वे रोयें-हंसें तो हम रोयें हंसे,
हमें कभी कबूल नहीं ये दस्तूर!

हम चल कर आयें, आप बात न करें,
हमसे सहा नहीं जाता यह ग़रूर।

साथ बैठकर हिक़ारत से न देखें,
आप बडे होंगे अपने घर जरूर!

आपकी सनक के ख़िलाफ खड़े हुए,
हमें भी आदमी होने का सुरूर!