देखिबे को दुति, पूनो के चंद की, हे 'रघुनाथ श्री राधिका रानी।
आई बोलाय के, चौंतरा ऊपर, ठाढी भई, सुख सौरभ सानी॥
ऐसी गई मिलि, जोन्ह की जोति में, रूप की रासि न जाति बखानी।
बारन तें, कछु भौंहन तें, कछु नैनन की छवि तें पहिचानी।
देखिबे को दुति, पूनो के चंद की, हे 'रघुनाथ श्री राधिका रानी।
आई बोलाय के, चौंतरा ऊपर, ठाढी भई, सुख सौरभ सानी॥
ऐसी गई मिलि, जोन्ह की जोति में, रूप की रासि न जाति बखानी।
बारन तें, कछु भौंहन तें, कछु नैनन की छवि तें पहिचानी।