देखे जिसे कोई हसरतों से ऐसा तो नहीं हूँ मैं/ विनय प्रजापति 'नज़र'
लेखन वर्ष: २००४/२०११
देखे जिसे कोई हसरतों से ऐसा तो नहीं हूँ मैं
जिसकी अक़ीदत<ref>पूजा, Adore, Affection</ref> हो जहाँ में वो ख़ुदा तो नहीं हूँ मैं
माना यकता<ref>अतुल्य, Matchless, Incomparable</ref> हूँ मेरे जैसा कोई दूसरा नहीं
सच है फिर भी हर मायने में पहला तो नहीं हूँ मैं
मैं जी रहा हूँ अब तलक बिन तुम्हारे तन्हा-तन्हा
जो असरकार हो जायेगी वह सदा तो नहीं हूँ मैं
क्यों न थके मेरी ज़बाँ कहते-कहते सभी को अच्छा
सोचो, कोई बातिल<ref>झूठा, Void</ref> कोई पारसा<ref>महात्मा, Saint</ref> तो नहीं हूँ मैं
न लड़ मुझसे मेरे रक़ीब तुझसे मेरी इल्तिजा है
जो आते-आते रह जाये वह क़ज़ा<ref>मृत्यु, Death</ref> तो नहीं हूँ मैं
यक़ीनन वह बेहद ख़ूबसूरत है ‘नज़र’, माह-रू है
वह न मिल सके मुझको इतना भी बुरा तो नहीं हूँ मैं