देखो, दिल के टुकड़े टुकड़े
तार तार सब नाते रिश्ते
अनदेखी हो जब जख्मों की
कैंसर बनते, रिसते रिसते
रोगी भोगी योगी सारे
अपनी अपनी उलझन उलझे
छुपते जसते आशा पंछी
असमान में उड़ते उड़ते
कैसे किसको, खत लिक्खें हम
उर्मिल सारे पते खो गये।
देखो, दिल के टुकड़े टुकड़े
तार तार सब नाते रिश्ते
अनदेखी हो जब जख्मों की
कैंसर बनते, रिसते रिसते
रोगी भोगी योगी सारे
अपनी अपनी उलझन उलझे
छुपते जसते आशा पंछी
असमान में उड़ते उड़ते
कैसे किसको, खत लिक्खें हम
उर्मिल सारे पते खो गये।