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देखो कि / भवानीप्रसाद मिश्र
Kavita Kosh से
रात को
दिन को
अकेले में और मेले में
तुम
गुनगुनाते रहना
क्योंकि देखो
गुनगुना रही हैं
वहाँ मधुमक्खियाँ
नीम के फूलों को चूसते हुए
और महक रहे हैं
नीम के फूल ज़्यादा-ज़्यादा
देकर मधुमक्खियों को रस !