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देखो भक्ति के कस में बस में आ गइलें राम / महेन्द्र मिश्र

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देखो भक्ति के कस में बस में आ गइलें राम।
जूठहीं बइरिया पर लोभा गइलें राम।
जात-पात प्रभू कोई का ना पूछे भीलनी के जूठन वो तो खा गैलें राम।
घरके दरिद्री रहलें सुदामा छीन-छीन के फरूही खा गइलें राम।
लखन लाल लखी जूठन बइरिया मन ही मने कुछ घिना गइलें राम।
द्विज महेन्द्र ओही बैरे के सीठी बन गए सजीवन बूटी खा गइलें राम।