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देश का अर्थ / पद्मजा बाजपेयी

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देश का अर्थ? पृथ्वी, आकाश, फूल, जंगल
हिमगिरि, गुफाएँ नहीं होती, देश का अर्थ
बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएँ, सड़कों पर दौड़ती गाड़ियाँ,
मंदिर, गिरजाघर, गुरुद्वारे नहीं होते, देश का अर्थ
गोदामों में भरा सामान, पुस्तकालयों में रखी किताबे,
विध्वंसक अंबार और उनका फ़ैला जंजाल नहीं होता देश का अर्थ
देश निर्जीव नहीं, सजीव जीता-जागता शब्द है देश का अर्थ
उसमे सम्मिलित है खिल-खिलाते बच्चे
मुस्कराती बहुएँ, वीरता और गरिमा से आगे बढ़ते युवक,
सम्मान से जीते वृद्ध, देश का अर्थ उसमे आते है
झूमते पशु-पक्षी लहलहाते खेत, और जगमगाते दीप,
और सन्तोष की साँस लेते हर जीवित प्राण में।
इन सबकी सुरक्षा खुशहाली ही सच्ची देशभक्ति है
देश सेवा है, समर्पण है देश का अर्थ
गुनगुनाते भंवरे, उड़ती तितलियाँ,
कूंकती-कोयल, नाचते मोर, दौड़ते हिरन, फुदकते खरगोश।
बेबस मन को खींच लेते हैं, इन्हे ही तो देश कहते है।