भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

देश भक्त यो डॉ. अम्बेडकर ना दुनियां म्हं पाया / अमर सिंह छाछिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

डॉ. अम्बेडकर नै सबका अधिकार एकसार कर्या।
यो गरीबे आवैं प्रधानमंत्री यो भी ऐलान कर्या।...टेक

मताधिकार का यो प्राविधान बणग्या।
डॉ. अम्बेडकर तो दलितों का मसीहा बणग्या।
बाबा भीमराव तो भारत का नक्शा ए बदलग्या।
संविधान बणाते समय पिछड़े वर्गों का हक बणग्या
इनके हित का पूरा-पूरा ध्यान कर्या...

अनुच्छेद क्षेत्र की तहत या बदली जावै सै।
पिछड़ेपन की जिम्मेदारी या म्हारी लाई सै।
पिछड़ेपन की दूर करने की व्यवस्था दिल्ली तक जारी सै।
मण्डल कमीशन कै तहत विकेन्सी थारी आरी सै।
पिछड़ा वर्ग कमिश्नर नै वो पास कर्या...

आरक्षण न्याय सुविधा मिली।
संविधान अनुच्छेद तै ए चली।
पिछड़े वर्ग के लोगों नै भी इसे तै मिली।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर नै या सही मिली
इसनै तो देश का सुधार ए कर्या...

हिन्दू कोड बिल पास होए तै मंत्रिमंडल तै त्यागपत्र दे दिया।
नागपुर म्हं जाकै अपणा बौद्ध धर्म ले लिया।
बरस 1956 म्हं जाकै आपणा निवास ले लिया।
6 दिसम्बर अलीपुर रोड़, नई दिल्ली आ लिया।
भीम नै तो अमरसिंह यो वादा पक्का कर्या...

देश भक्त यो डॉ. अम्बेडकर ना दुनिया म्हं पाया।
इन गरीबां पै होया कुर्बान सबकै जी सा आया।...टेक

सबतै बड़ी चिंता देश यो भूतकाल म्हं सोया।
इस देश म्हं कइयां कै विरोध दूसरा होया।
आपणे लोग ना यो धोखेबाजी म्हं ए खोया।
जाति-भेद बणाणे आला वो देश विरोधी होया।
बेइमान इन अंग्रेजां नै यो देश लूट कै खाया...

पार्टियों नै चाहिए के वे देश म्हं महत्व देवैं।
अगर ऐसा ना होवै तो या आजादी खतरे म्हं देवैं।
उनका इतबार करियो ना जो धोखा थमनै देवैं।
आपणे रक्त की बूंद की वो जान अपणी देवैं।
इस लापरवाही थाही म्हं यो देश गुलाम होया...

कुएं उपर दलितों का के अधिकार नहीं था।
हिन्दू और मुस्लमान मुझे यो स्वीकार नहीं था।
धर्म संस्कृति भाषा यो राज का प्रतीक नहीं था।
उस भारतीय के हवाले कुछ नहीं था।
इस छुआछात काट थारी म्हं अंग्रेजां नै दा लाया...

मैंने थारे लिए जो कुछ भी कर्या सै
बड़ी मुसीबत और दुखां म्हं दिया सै।
बेसमाई करया विरोध इनका मुकाबला करकै लिया सै।
जिसनै करया विरोध मेरे तै उसनै तुरन्त जवाब दिया सै।
भीम तो अमरसिंह यो कोऐ अवतार ए आया...