देश हमारा जग से न्यारा हम भारत में रहते हैं / रंजना वर्मा
देश हमारा जग से न्यारा, हम भारत में रहते हैं।
कोई कुछ भी कहे किन्तु हम, माता इसे समझते हैं।।
उत्तर में है खड़ा हिमालय, भरा हुआ औषधियों से
बहती रहतीं कितनी नदियाँ, झरने झर झर झरते हैं।।
शीतल मन्द सुगन्ध समीरण, लिये चन्दनी गन्ध बहे
रंग बिरंगे हर ऋतु प्यारे, फूल महकते रहते हैं।।
निशि वासर पहरा देते जो, सीमा पर सीना ताने
ऐसे वीरों से दुश्मन के, सभी सिपाही डरते हैं।।
ऋषि मुनियों की बात न पूछो, अपना देश निराला है
यहीं देवता वर देने को, भक्तों हेतु उतरते हैं।।
लाली लिये निकलता सूरज, साँझ ढले रक्तिम होता
हैं महान जो जीवन जैसे, जन्मे वैसे मरते हैं।।
सब को मोह और माया की, लौह-श्रृंखला जकड़ रही
जिन के हाथ लगा प्रभु पारस, बन कर स्वर्ण निखरते हैं।।