देसूंटो-1 / नीरज दइया
देस मांय
ठाह नीं पड़ै
कै देस कांईं हुवै
रैवै देस
सांसा मांय
गूंथीज परो
मांय म्हारै
जिंयां
हालतै-चालतै मिनख नैं
ठाह नीं पड़ै
कै सांस कांईं हुवै
ठाह हुवै
पण ठाह नीं हुवै
इण देस में
साधूं कथा
सांस रै रचाव री
अर हांती दांईं
आवै पांती म्हारै-
थोेड़ा’क सुपना
रचना रै मूळ मांय
सदीव रैवै-
कोई बीज
कविता में लाधै
कथा बीज
अर कथा में
कविता-बीज
कविता करै
बरोबरी कथा री
अर कथा
कविता री
सुपना म्हारा
किण मारग सूं
आवै-जावै
मांय-बारै म्हारै
कठै सूं कठै
लेय आया म्हनै
सुपना म्हारा
नीं जाणूं
सुपना रै देस
कद हुवै दिन
कणा हुवै रात
नीं जाणूं
सुपना रै मारग
कठै है अटक्योड़ी-
आंख म्हारी
मन-बेमन सूं
हुयगी खासी बातां
कटग्या कई दिन
कटगी केई रातां
रात-दिन रै दोय पाटां
म्हैं दळीजूं सांवरा
मामूली है सवाल
इण् जुग मांय
इण जूण मांय
क्यूं जीवै मिनख ?
अर कांईं जीवै मिनख ??
जीवण रै च्यारूंमेर
परकोटा ई परकोेटा
लाधे किंयां-
कोई पुखता मारग !
कीं हळको-सो अेलम हुयां
निकळूं तुरत-फुरत
पण पूगूं पूठो
जाणै तिसळ परो
सागी री सागी मन-गत
चकारिया नीवड़ै कोनी
नीवड़ जावै-
सांस
सुपना
अर मिनख
आवै अर जावै सांस
बणै अर बिगड़ै सुपना
जीवै अर मरै मिनख
जींवता जीव ई बारम्बार
मनै मिनख
मन-मन नैं जीवै मिनख
मिनख मांय हैं-
जाणै अलेखूं मिनख !
तर-तर उळझै
सांस-सांस मांय
सुळझै कोनी सांस
उळझूं म्हैं
अर उळझूं म्है
उळइयां ई जावूं
कर्यां जावूं जुद्ध
खुद मरूं म्है
अर खुद नै मांरू म्हैं
नीं नीवड़ियो जुद्ध
मांय म्हारै है
अेक अखूट मिनख
अजर-अमन मिनख
कांईं ओ खेल है-
कै आवै अर जावै सांस
जावै अर आवै सांस
कै जीवै अर मनै मिनख
मरै अर जीवै मिनख
कठै हुवै-
पैलपोत सांस ?
हां .....बीज मांय
पूगण सूं पैली
कठै हुवै सांस ??
सांस म्हारी !
थूं ई बता-
थूं कठै ही ?
कांई अंतरीख मांय ही
सांस म्हारी
किणी तारै दांईं
उळझ्योड़ी
अटक्योड़ी
टंग्योड़ी
सांस म्हारी
कांई थूं ही
काळै दरख अंधारै मांय
उजास सूं आंतरै
ऊभी उडीकती
किणी दिन नैं
किणी वार नैं
का किण्ी सुपनै नैं
कांईं थूं ही
किणी नींद मांय
किणी सुपनै रै साथै
उळझ्योड़ी
अटक्योड़ी
भटक्योड़ी
म्हारी सांस
थूं कठै ही ?
कांईं थूं ही-
किणी मन मांय
इच्छा दांई संभियोड़ी !
म्हारी सांस
बिना बुलायां
कर परी सागो
सुपनै रो
थूं अणजाणै
पूगी किंयां-
सिरजक री आंख मांय
सांवरा !
हो थारै दांईं
भव म्हारो
साव रूपबायरो
म्हारी सांस मांय
जद थूं दीवी म्हनै
थारै सुपनां री पांख
पूगी म्हारी सांस
बीज री आंख
फगत रूप रो इ’ज नीं
थारै पाखती हिसाब
अरूप रो इ’ज
थूं ई अेकूको मुनीम