मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
देहरि के छेकाइ पहिने चुकाउ
हे रघुवंशी लाला
कोबर घर सोझे नहि जाउ
हे रघुवंशी लाला
हमरा भैया सँ अपन बहिनी बियाहू
हे रघुवंशी लाला
अयोध्या सँ शान्ती के मंगाउ
हे रघुवंशी लाला
हमरा कका जी के दियनु अपन मइया
हे रघुवंशी लाला
दुनू घर गुजर कराउ
हे रघुवंशी लाला
गाबथि सखि सभ कोबर छेकाइ
हे रघुवंशी लाला
उजड़ल घर भइया के बसाउ
हे रघुवंशी लाला