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दोष इसमें नहीं किसी का है / कैलाश झा 'किंकर'
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दोष इसमें नहीं किसी का है
यह तो पैगाम दोस्ती का है।
आप से मिल के दिल खिला मेरा
वक़्त आया जो शायरी का है।
हर घड़ी व्यस्तता है जीवन में
फिर भी मसला ये हाजिरी का है।
नाज़ है आप पर ज़मीं को भी
एक माहौल सादगी का है।
खर्च इतने हुए सफ़ाई पर
पूर्व-सा हाल गंदगी का है।
ये अदब की नदी है गंगा-सी
शायरों का समय ख़ुशी का है।