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दोस्त बन बन के मिले मुझको मिटाने वाले / सईद राही
Kavita Kosh से
दोस्त बन बन के मिले मुझको मिटाने वाले
मैंने देखे हैं कई रंग बदलने वाले
तुमने चुप रहकर सितम और भी ढाया मुझ पर
तुमसे अच्छे हैं मेरे हाल पे हँसनेवाले
मैं तो इख़लाक़ के हाथों ही बिका करता हूँ
और होंगे तेरे बाज़ार में बिकनेवाले
आख़री बार सलाम-ए-दिल-ए-मुज़्तर ले लो
फिर ना लौटेंगे शब-ए-हिज्र पे रोनेवाले