भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दोस्त / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
दोस्त
एक मदद करना
जरा चुगली मस्त करना
क्योकि तुम्हारी आदत से
मैं परिचित हूँ
कि
तुम
बहरूपिया हो
एक नंबर के घुन्ने हो
लड़ाके हो
चुगलखोर हो
पर हम भी क्या करें
कि तुम पर बड़ा प्यार आता है
साला !
फिर बॉस के कान भर आया
कितना भला है बॉस
जो सबकी सुनता है
बॉस है या गंदा नाला है