दोहा संख्या 31 से 40
ब्रह्म राम तें नामु बड़ बर दायक बर दानि। 
राम चरित सत कोटि महँ लिय महेस जियँ जानि।31। 
सबरी गीध सुसेवकनि सुगति दीन्हि रधुनाथ। 
नाम उधारे अमित खल बेद बिदित गुन गाथ।32। 
राम नाम पर नाम तें प्रीति प्रतिति भरोस। 
सो तुलसी सुमिरत सकल सगुन सुमंगल कोस।33। 
लंक बिभीसन राज कपि पति मारूति खग मीच। 
लही राम सों नाम रति चाहत तुलसी नीच।34।
 हरन अमंगल अघ अखिल करन सकल कल्यान । 
रामनाम नित कहत हर गावत बेद पुरान।35। 
तुलसी प्रीति प्रतीति सेां राम नाम जप जाग। 
किएँ होइ बिधि दाहिनो देइ अभागेहि भाग।36। 
जल थल नभ गति अमित अति अग जग जीव अनेक। 
तुलसी तो से दीन कहँ राम नाम गति एक।37। 
राम भरोसो राम बल राम नाम बिस्वास। 
सुमिरत सुभ मंगल कुसल माँगत तुलसीदास।38। 
राम नाम रति राम गति राम नाम बिस्वास। 
सुमिरत सुभ मंगल कुसल दुहुँ दिसि तुलसीदास।39।
रसना सँापिनि बदन बिल जे न जपहिं हरिनाम। 
तुलसी प्रेम न राम सों ताहि बिधाता बाम।40।