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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-40 / दिनेश बाबा

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313
पैसा सें पैसा बढ़ै, बढ़ै पून्य आ पाप
साथ अगर किसमत दियेॅ, होथौं अपने-आप

314
‘बाबा’ करियै हाले दिल, सबकेॅ कम्युनिकेट
नै तेॅ होभो व्यर्थ में, टेंशन के आखेट

315
जिनगी में भी छै मजा, जे भी ले छै रिस्क
उल्फत के हय दौर में, ‘बाबा’ करियै इश्क

316
गुम्मस भरलो दिन छिकै, छाया में भी धूप
महँगाई दिखलाय छै, अहिने अपनो रूप

317
पर्यावरनों के छिकै, हय शाश्वत सिद्धान्त
जल, जंगल, जन-जाति बिच, रहै अनिष्टो शान्त

318
बेटा लेली होय छै, होम, हवन, आ जाप
बेटी के ऐबो छिकै, किस्मत के अभिशाप

319
करै मनौती भगवती, दीहो हमरा पूत
मान बढ़ै, आदर हुवै, वंशवृक्ष मजगूत

320
धन्यवाद करबो छिकै, केवल शिष्टाचार
कटुता मेटै के मतुर, छिकै एक हथियार